Friday 4 March 2016

बेवकत, बेवजह और बेसबब की बेरुखी तेरी....
पर फिर भी तुझे बेइँतहा चाहने की बेबसी मेरी....

Monday 3 August 2015



बहुत तलाशी हमने वजह, तेरे बाद खुश रहने की,
फिर भी न लौट कर आयी, मुस्कराहट मेरे लबों पर...


वो एक रात जला तो उसे. . . .. . .. . . . दीपक कह दिया
हम बरसो से जल रहे हैं. . . . . . . . .हमें भी कोई तो खिताब दो

Monday 20 July 2015

तेरे ज़िक्र से ही संवर जाते हैं-
लफ्ज़ भी क्या तुझे छू के आते हैं
किसी ने मुझसे पूछा "कैसी है अब जिंदगी"....
मैने मुस्कुरा कर जवाब दिया... "वो खुश है "
रोज कहाँ से लाऊँ एक नया दिल,
तोड़ने वालों ने तो मजाक बना रखा है
किस्मत की किताब तो खूब लिखी थी मेरी रब ने... 
बस वही पन्ना गुम था जिसमे तेरा ज़िक्र था..